दूर तक तलाशमें मेरे साथ चल पड़े वो इंतजार है तुं ,
हर मोड़पे जिंदगीमे रहनुमां बने वो राजदार है तुं ,
तेरे पैगाममें मंजरे-इश्कमें धुआँ हसरतका मिला ,
कोई अंजाम न हो वो ही आगाज की पुकार है तुं ,
कोशिश हरचंद यह रहेगी न उजड़ेगा घोंसला ,
बने जो शाखसे टूटने न दे वो रहमतगुजार है तुं ,
मोहब्बतके सिलसिला का निशाँ मिटने नहीं देंगे ,
बनाती है दिलमें नक़्शे-कदम वो रह्गुजार है तुं ,
बेताबी बढ़ाती है तेरी साँसोकी महक जजबातोमे ,
जब गुजरती है खलिशें मिटाती हो वो खुशगवार है तुं ,
मुकुल दवे "चातक"
हसरत-इच्छा// रह्गुजार-सहयात्री
राजदार-ह्रदय की बात जाननेवाला//मंजरे-दृश्य//
आगाज-शरुआत//रहमतगुजार-दयालु//
खलिशें-चुभन//खुशगवार-सुख देने वाली