tag:blogger.com,1999:blog-45994060934579715292024-03-13T04:45:36.499-07:00CHATAK PAYASचातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.comBlogger60125tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-72332266217934972972016-02-15T05:35:00.002-08:002016-03-07T23:03:54.236-08:00इक न इक दिन देंगे आप दस्तकें दर पे तरस की तरह ,मुकुल दवे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
इक न इक दिन देंगे आप दस्तकें दर पे तरस की तरह ,<br />
हम अश्क बन के गिरेगेँ आप की प्यास की लहर की तरह ,<br />
<br />
जब सामने तू है पर्दे को चेहरे पे पड़ा रहने दे ,<br />
उठेगा पर्दा निगाह होगी सँवरती सहर की तरह ,<br />
<br />
मेरे वजूद के आसपास ये कौन है जो मिलता है ,<br />
तू भी हयात है किताब सा आईना है समन्दर की तरह ,<br />
<br />
आज सरेराह कोई चेहरा लगा के निकला, ढूँढ न सका में ,<br />
खुद को पा न शका तुझे ढूँढता रहा द्स्त नगर की तरह ,<br />
<br />
मिला न पता खुदा जाने आँखों में क्या फैला था दूर तक ,<br />
कोई नक्शे पा न देखा बुला रहा जिसे खुदा के दर की तरह<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक "<br />
<br />
द्स्त नगर-हाथ फैलाये हुए//हयात-जिंदगी//सहरसुबह<br />
,<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-tYTQJvqNEvs/VsHTpfSyGcI/AAAAAAAAAV0/YdaRdsKT83E/s1600/10271550_293044127529946_1537642050056264728_n%2B%25282%2529.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="213" src="https://1.bp.blogspot.com/-tYTQJvqNEvs/VsHTpfSyGcI/AAAAAAAAAV0/YdaRdsKT83E/s320/10271550_293044127529946_1537642050056264728_n%2B%25282%2529.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<br /></div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-34407099847825540642016-02-13T05:41:00.000-08:002016-03-07T23:15:38.681-08:00बदन जलके खाक हुआ ,रूह की जबाँ से पुकार के आजमायें हम ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
बदन जलके खाक हुआ , रूह की जबाँ से पुकार के आजमायें हम ,<br />
वो मस्जिदो मंदिर में ढूँढ़ते रहे,किस तरह इसका दर खट्खटायें हम ,<br />
<br />
हे पीरे मैकदा आपकी महफ़िल में मेरी खामोशी तकसीर हो गई ,<br />
मस्जिद मंदिर का दर बन्द था ,किस दर पे जाके खता गिनायें हम ,<br />
<br />
खाक उड़ाने बाद मिल जाऊँगा मिट्टी में तो हो जाऊंगा मिट्टीका<br />
सिर्फ इसलिए जागता हूँ जो मिट्टी से जुदा है उनको जगायें हम ,<br />
<br />
तुम्हारे दर पे सर रखना था रख दिया, बन्दे पे क्यों इल्जाम है ,<br />
गर खुदा खुद से पर्दा उठायें तो, दस्ते दुआ से नजर उठायें हम ,<br />
<br />
हे नाखुदा तूफाँ उठा शांत होनेके बाद सबसे किनारे हो गये ,<br />
जिंदगी की आखिर जहमत उठाने बाद , गुबारे कारवाँ दिखायें हम<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<br />
पीरे मैकदा-शराबखाना का बुजुर्ग//तकसीर-अपराध//<br />
दस्ते दुआ-दुआ का हाथ //नाखुदा-माजी//गुबारे कारवाँ-कारवाँ-धूल<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-igzGZeDiz7E/Vr8yJpAMSHI/AAAAAAAAAVk/cACXuFcjJGI/s1600/1237037_577870828941967_471160573_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="264" src="https://4.bp.blogspot.com/-igzGZeDiz7E/Vr8yJpAMSHI/AAAAAAAAAVk/cACXuFcjJGI/s400/1237037_577870828941967_471160573_n.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-47782192583252939742016-02-11T04:52:00.000-08:002016-03-08T00:08:56.464-08:00सुबह का सूरज के चेहरा की चमकती रोशनी से उभरने दे मुझे ,मुकुल द्वे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
सुबह का सूरज के चेहरा की चमकती रोशनी से उभरने दे मुझे ,<br />
अँधेरा बहुत था मगर हुनर से सुबह का सुनेहरी रंग भरने दे मुझे ,<br />
<br />
आज ऐसा क्या है की तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे ,<br />
तेरी खन खन ,चूड़ियाँ की आवाज चुराके सराबों में बिखरने दे मुझे ,<br />
<br />
मायुस तुम ना होना, हँसी ख़ुशी से बिछड़ना है बिछड़ जाना ,<br />
वक्त की शाम हो जाये उसके पहले तेरी आँखों में उतरने दे मुझे ,<br />
<br />
मुसाफिर हूँ फिरभी न जाने क्यूँ लगता है की जिंदगी थम गई हो ,<br />
ढूढता फिरता रहँता हूँ खुदा की छबि में फिरभी पुकारने दे मुझे ,<br />
<br />
कैसा दौर है जहर पी चूका हूँ फिरभी जिंदगी की दुआ में तेरी असर हो ,<br />
कहाँ था तुझे दूर जा के ,दुआएँ मुझे न दो,सजाओं में गुजरने दे मुझे<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक "<br />
<br />
सराबों-मृगतृष्णा<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-SPMjI87U8WA/VryDZVuB5AI/AAAAAAAAAVU/F9Fmff9SUHg/s1600/11009218_441240019393727_2188872944471557092_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="310" src="https://1.bp.blogspot.com/-SPMjI87U8WA/VryDZVuB5AI/AAAAAAAAAVU/F9Fmff9SUHg/s400/11009218_441240019393727_2188872944471557092_n.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-33551433482451056192016-02-09T05:51:00.000-08:002016-03-08T00:12:41.362-08:00छलकती है जो आँख निगाहो से शराब की ,मुकुल द्वे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
छलकती है जो आँख निगाहो से शराब की ,<br />
निगाहे-जाम में घोल रही है कातिले-शबाब की ,<br />
<br />
लाख कोशिश से हुश्न पे पर्दा कर न शके ,<br />
गुजरती है जहाँ से लगती है आग आफताब की ,<br />
<br />
दागे-मुहब्बत का दिलमें है आलम इस तरह ,<br />
छलकती है महकती कैफी साँसे , करे न कोई अजाब की ,<br />
<br />
उलझे उलझे जज्बात है तु बस जलाना न छोड़ ,<br />
ईश्क ख़ुदा है आजमाना न छोड़ , ताब है महताब की ,<br />
<br />
जुस्तजू-हुश्न का जिक्र क्या , तड़प के रूह रह गई ,<br />
जिंदगी में आई वो,महकती खुशबू कैद कर गई गुलाबकी<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक "<br />
<br />
शबाब-हुश्न //आफताब -सूर्य//अजाब-गुनाह का ख्याल ,<br />
ताब-तेज/नूर //महताब-चाँद //<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-Xg9HR8azJwk/VrnrtydYzsI/AAAAAAAAAVE/1zRJBKA01Gs/s1600/1375092_196140707236994_2134035899_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://4.bp.blogspot.com/-Xg9HR8azJwk/VrnrtydYzsI/AAAAAAAAAVE/1zRJBKA01Gs/s400/1375092_196140707236994_2134035899_n.jpg" width="250" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-60910879340715049292016-02-08T05:17:00.001-08:002016-03-08T00:21:56.015-08:00इबादत और मेरी मुराद के दरमियाँ खुदा का चेहरा किताब सी रही ,मुकुल द्वे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
इबादत और मेरी मुराद के दरमियाँ खुदा का चेहरा किताब सी रही ,<br />
लोंग जो मिले मुझसा रहा , करम में ढूँढा खुदी से रोशनी सी रही ,<br />
<br />
क्या कहूँ शहर के हर आदमी गूँगों की तरह कुछ नहीं कहता ,<br />
हैरत है हर शख्स की आँखो में सराबों की धनक रची सी रही ,<br />
<br />
क्या तमाशा है शीशे की इमारत में हर शख्स शीशे की तरह मिला ,<br />
अक्सर टूटने के बहाने बहुत , हर जुल्म में जमीनें सजा देती रही ,<br />
<br />
कहर में सुलगता आदमी मशाल की तरह बस्तियों में घूमता रहा ,<br />
तीरगी में जलाके चल दिया ,शहर में चिरागों के धूआँ की जिंदगी सी रही,<br />
<br />
बस कोई मसीहा लौट आये , ये आसके दिये चौखट पे जलाके रखे ,<br />
कौन कातिल किसका सब के हाथ में खंजर, इन्तहा की तिश्नगी सी रही<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक "<br />
<br />
इबादत-पूजा//करम -दया//सराबों-मृगतृष्णा//कहर-प्रकोप//<br />
इन्तहा-अंत//तिश्नगी-प्यास//तीरगी-अंधकार ,<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-oo656L32cKY/VriVLw_SFGI/AAAAAAAAAUw/Cn9NbnFrotk/s1600/10570467_691489010932910_5878671770318328429_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="640" src="https://4.bp.blogspot.com/-oo656L32cKY/VriVLw_SFGI/AAAAAAAAAUw/Cn9NbnFrotk/s640/10570467_691489010932910_5878671770318328429_n.jpg" width="425" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-90181912821150341682016-02-07T00:20:00.002-08:002016-03-08T00:27:14.011-08:00सारी निगाहों से दूर एक दुनिया बसाई थी ,मुकुल द्वे "चातक'<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
सारी निगाहों से दूर एक दुनिया बसाई थी ,<br />
ना मेरी , ना तुम्हारी थी ,सिर्फ ख्वाबों में सजाई थी ,<br />
<br />
में कभी सोचता हूँ की मुझे तेरी तलाश क्यों है ,<br />
घूमता रहा मगर तुझे माँगना खैरात में मनाई थी ,<br />
<br />
कहीं दो राहे पे जिंदगी है ,न जुस्तजू ,न कोई आरजू ,<br />
ये शख्स मर चूका है फिरभी लाश क्यों जगाई थी ,<br />
<br />
ये खेल सचमुच क्या राजा-वजीर-फौज प्यादा का है ,<br />
मोहरा इसका चलता है जो चाल दौलत से चलाई थी ,<br />
<br />
हम सचमुच जो जिंदगी ढूँढ़ते है अब कहीं भी नहीं है ,<br />
अभी गहरा सुकून है की तुझे ख्वाबों में बसाई थी<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक'<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://1.bp.blogspot.com/-iOC14r9P3gA/Vrb-I2UPyEI/AAAAAAAAAUg/9QW9TGDEq0U/s1600/1277809_213394835497287_567033088_o.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="192" src="https://1.bp.blogspot.com/-iOC14r9P3gA/Vrb-I2UPyEI/AAAAAAAAAUg/9QW9TGDEq0U/s320/1277809_213394835497287_567033088_o.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-64759820663553071622016-02-05T04:59:00.001-08:002016-03-08T00:36:19.439-08:00मंजिले दिलकी बहोत फिरभी निशाँ बना गया कोई ,मुकुल दवे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
मंजिले दिलकी बहुत फिरभी निशाँ बना गया कोई ,<br />
बिखरी वो टूटकर खुदको परोया माला में सजा गया कोई ,<br />
<br />
घर का दर खुला रखते , बिछड़ ने के भी तरीके होते है<br />
हैरत है अक्सर कहते है मेरे ,मगर दास्ताँ जला गया कोई ,<br />
<br />
वो मौसम , गुलाबो की खुशबू हवाओं में बिखर जाएगी ,<br />
याद तो होगा तुझे मगर मुझे अजाबों में रुला गया कोई ,<br />
<br />
सुकून कहीं इक था की प्यास होगी समंदर रूह की तरह ,<br />
क्यों मुझे तिश्नगी दी , बददुआ में गिरा गया कोई ,<br />
<br />
एसी आग रहगुजर में बरसी सारे मंजर झुलस गए<br />
भूला घर ओरों ने रास्ता दिखा के मेरी दांस्तां सुना गया कोई ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक "<br />
<br />
अजाबों-एतनाऐ;दुःख //तिश्नगी-प्यास //झुलस-<span style="background-color: #e0e0e0; color: #666666; font-family: "helvetica" , "arial" , sans-serif; font-size: 16px;">દાઝવું</span><span style="background-color: #e0e0e0; color: #666666; font-family: "helvetica" , "arial" , sans-serif; font-size: 16px;"> </span><br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://4.bp.blogspot.com/-A5v-3Braga8/VrSgCG8wsKI/AAAAAAAAAUQ/ScneNfanVfE/s1600/12373188_496078380576557_5533392113745715956_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://4.bp.blogspot.com/-A5v-3Braga8/VrSgCG8wsKI/AAAAAAAAAUQ/ScneNfanVfE/s400/12373188_496078380576557_5533392113745715956_n.jpg" width="296" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-30339742299267060212016-02-01T01:26:00.004-08:002016-03-08T00:42:48.994-08:00दिये बूझ गये सारे शहर के, अपनी दहलीज पे दियाजलाया होगा ,मुकुल दवे 'चातक '<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
दिये बूझ गये सारे शहर के, अपनी दहलीज पे दिया जलाया होगा ,<br />
प्यार और नफरत की दुनिया में प्यार की लौ को उन्हें सजाया होगा ,<br />
<br />
रेश्मी जुल्फों बिखरके मीराँ के मिजाज में वो जोगन बन गई ,<br />
सोचता रह गया देर तक , जाने वाले ने इस तरह मुझे पाया होगा ,<br />
<br />
क्या तकसीम है डूबना सिखाया नाख़ुदा ने समझदारी के साथ ,<br />
माना उसकी हसीन सजा होगी, थोड़ा सा प्यार देके मुझे उठाया होगा,<br />
<br />
कांपते रह गये होठ जब सिसकते हाथ उन्हें मेरे लबों पे लगाया ,<br />
समझ न सका प्यार उसका,किस तलाशकी तमन्नामें मुझे मनाया होगा ,<br />
<br />
देख लिया तेरा इन्साफ तेरी वफ़ा को वफ़ा, जफ़ा को जफ़ा कह न सके ,<br />
कैसा दौर है प्यासे बैठे रहे साकी , तुमने छलका के मुझे पिलाया होगा<br />
<br />
मुकुल दवे 'चातक '<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-pKEJY8CQUqU/Vq8kdjwYgDI/AAAAAAAAAUA/2fikzfi_KV4/s1600/1157485_1376825885908575_137886983_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="305" src="https://3.bp.blogspot.com/-pKEJY8CQUqU/Vq8kdjwYgDI/AAAAAAAAAUA/2fikzfi_KV4/s400/1157485_1376825885908575_137886983_n.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-13192818390846745742016-01-29T04:47:00.002-08:002016-03-08T00:49:30.993-08:00कोई अँधेरा नहीं यहाँ कोई उजाला नहीं हुआ ,मुकुल दवे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
कोई अँधेरा नहीं यहाँ कोई उजाला नहीं हुआ ,<br />
चारो ओर गहरा कोहरा सुबह का उतारा नहीं हुआ ,<br />
<br />
कच्ची मिट्टी के जिस्म पे सरापा में चादर थी ,<br />
जिन्दगी क्या ले गई फ़क़ीरोंसे, खुदा का नजारा नहीं हुआ ,<br />
<br />
रात -दिन मोम बनकर प्यारके सांचे में पिघलता रहा ,<br />
जब लहू जम गया प्यार के हुनर से गुजारा नहीं हुआ ,<br />
<br />
पतवारों के साथ चलना लंबे पथ पर सूरज छला करें ,<br />
कौन सी फिराक में था अँधेरा कभी सितारा नहीं हुआ ,<br />
<br />
कभी तुम किसी मोड़ पे मिलोगें मुसाफिर होके ,<br />
आँखों में चरागों का कारवाँ फिरभी रास्ते का इशारा नहीं हुआ ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक "<br />
कोहरा-धुम्मस //सरापा-सर से पाँव तक<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-gzO4qUy9n80/VqtfKSMiDyI/AAAAAAAAATw/QCRJ_g0KrzE/s1600/11703361_453761788141550_5132378021813755320_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="355" src="https://2.bp.blogspot.com/-gzO4qUy9n80/VqtfKSMiDyI/AAAAAAAAATw/QCRJ_g0KrzE/s400/11703361_453761788141550_5132378021813755320_n.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-65812650909887241732016-01-27T21:47:00.000-08:002016-03-08T00:56:26.767-08:00जाग उठी है फ़ितरते-फनकार मना लो मुझको ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
जाग उठी है फ़ितरते-फनकार मना लो मुझको ,<br />
पलकें मूँदने से अच्छा , आँसुओ में समा लो मुझको ,<br />
<br />
तेरे थरथराते हुए आँसू मुझसे नहीं देखे जाते ,<br />
कुछ तलाश में नहीं मिलता आग़ोशे-खुदा में छुपा लो मुझको ,<br />
<br />
झकजोर दिया है मुझे यादों की यह ठंडी मौसमने ,<br />
कौन बरसा अधिक आँसू या बादल ,सीने लगा लो मुझको ,<br />
<br />
पतझड में मेरे बहते झरनों में तुमने पैर पखाले ,<br />
बुझे स्नेह के चिरागों को ,चाहो तो फिर जला लो मुझको ,<br />
<br />
कितना बिखर गया हूँ मै जिंदगी की रफ़्तार में ,<br />
वक्त के धागे की माला में परोके गले लगा लो मुझको<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<br />
फ़ितरते-फनकार-कलाकार की प्रकृति//<br />
आग़ोशे-खुदा-खुदा की गोद //<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-4hx4Bm-z1pc/VqmrE3j51OI/AAAAAAAAATg/rCdVUqWNt_I/s1600/1378658_224090274423188_614375274_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="266" src="https://1.bp.blogspot.com/-4hx4Bm-z1pc/VqmrE3j51OI/AAAAAAAAATg/rCdVUqWNt_I/s400/1378658_224090274423188_614375274_n.jpg" width="400" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-61040059239814706132016-01-14T04:03:00.002-08:002016-03-01T00:11:22.171-08:00महोब्बत करने वालेका दिल सजदेमें होते है ,मुकुल द्वे :चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div>
<br /></div>
महोब्बत करने वालेका दिल सजदेमें होते है ,<br />
<div>
खुदाकी बंदगी में दिल अश्को से भिगोते है ,</div>
<div>
<br /></div>
<div>
उजाले की प्यास में अंधेरा पसंद नहीं रात को </div>
<div>
शब की महफ़िल में कई जुगनू दिल जलाते है ,</div>
<div>
<br /></div>
<div>
सांसो में रची है साँस के धागो की खुदाई सौगात ,</div>
<div>
जिस्म में दीपक की लौ को साँसों से पिघलाते है ,</div>
<div>
<br /></div>
<div>
जिन राहों पे वो खड़े है, वहाँ धूप बहुत कड़ी है ,</div>
<div>
चांदनी में उनकी दहलीज पे ,जुस्तजू के दिये सजाते है ,</div>
<div>
<br /></div>
<div>
कुछ तो है खुदाई में, डूबने गये आ गये किनारे </div>
<div>
यूँ दुआऐ कुबुल नहीं हुई ,आँसुओ में खुदको डूबोते है ,</div>
<div>
<br /></div>
<div>
मुकुल द्वे :चातक"</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-yEYLHxoqeZw/VpeOaXAnAeI/AAAAAAAAATI/Pag39bhnWNw/s1600/1504245_227038890799548_65955075_o%2B%25281%2529.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://2.bp.blogspot.com/-yEYLHxoqeZw/VpeOaXAnAeI/AAAAAAAAATI/Pag39bhnWNw/s320/1504245_227038890799548_65955075_o%2B%25281%2529.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-29389554545808070262016-01-06T05:58:00.000-08:002016-03-01T00:05:51.349-08:00गुजर गई उम्र वक्त के तमाशा का गुजारा हुआ था ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
गुजर गई उम्र वक्त के तमाशा का गुजारा हुआ था ,<br />
वरना ताश के पत्ते दे के खुदा का इशारा हुआ था ,<br />
<br />
उम्रों की इन्जार में जो भी इक्ठा किया था यह मुठी में ,<br />
मिला वो खोया खो के मिला,वो जित के भी हारा हुआ था ,<br />
<br />
बाजार की तासीर में हुश्ने के लिबास उतारे हुए देखा ,<br />
सराफत में डूबा प्यासा भी न था प्यास का मारा हुआ था ,<br />
<br />
कारगर हुई मुहब्बत और नफरत की फिराकी चाल में<br />
दिल की सियासत में तेरा हुनर और भी प्यारा हुआ था ,<br />
<br />
उन्हें हुश्ने शबाब को इश्क के जज्जबात में ढाल दिया था ,<br />
अजनबी की हर नजर को आईने से यारा हुआ था ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-PVsstBvWxJc/Vo0dCap64uI/AAAAAAAAAS4/EmWh1D_84U4/s1600/1798742_1466431126906248_1914040823_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="225" src="https://2.bp.blogspot.com/-PVsstBvWxJc/Vo0dCap64uI/AAAAAAAAAS4/EmWh1D_84U4/s400/1798742_1466431126906248_1914040823_n.jpg" width="400" /></a></div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-3698796770982174192015-12-29T00:43:00.003-08:002016-03-01T00:03:25.817-08:00मेरी कत्ल करने से पहले मुझे छलाये रखना ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
मेरी कत्ल करने से पहले मुझे छलाये रखना ,<br />
इश्क ने बेजबान बनाया है तुम इसे बनाये रखना ,<br />
<br />
दिखाती हो अदा कातिल हमें , तीरे -नजर चलने देना,<br />
जब तक तक तलवार म्यान में है मोती को पिरोये रखना,<br />
<br />
मेरी राह को दीवार बनाने उठाके पथ्थर वो ले गया ,<br />
आईना बनाया वो पथ्थर को चहेरा सजाये रखना,<br />
<br />
कुछ न कुछ मेरे दरमियाँ बाकी तो रह गया होगा ,<br />
मेरे साथ बंधे एक धागे को बदन पे लगाये रखना,<br />
<br />
आँख से गिरा आँसू तू ने अपनी आँख पे ले लिया ,<br />
आँसूओ से धुली ख़ुशी की तरह रिश्ते को गुनगुनाये रखना,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-xDgW6xFph6o/VoJHHcu3JhI/AAAAAAAAASs/CVYv2bCQ6cs/s1600/happy-womens-day-greeting-card-or-poster-design-with-illustration-of-a-beau_Xyl3Bm_S.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://1.bp.blogspot.com/-xDgW6xFph6o/VoJHHcu3JhI/AAAAAAAAASs/CVYv2bCQ6cs/s320/happy-womens-day-greeting-card-or-poster-design-with-illustration-of-a-beau_Xyl3Bm_S.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-75451120180785767222015-12-26T03:26:00.002-08:002016-02-29T23:56:03.414-08:00दिल मेरा दीदार इस सलीके से सादगी देखते है ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
दिल मेरा दीदार इस सलीके से सादगी देखते है ,<br />
चेहरा नजर आए आँखों की शर्मिन्दगी देखते है<br />
<br />
में हूँ किनारा के इस पार तु खड़ी है उस पार ,<br />
दोनों साथ ,डूबे और जिस्मकी तिश्नगी देखते है<br />
<br />
मुझे मेरी जिन्दगी कहाँ ले के पहुँच गई है ,<br />
लोगों की जबानी और हमारी अनसुनी देखते है ,<br />
<br />
वो चारागर भी है और साथ खंजर भी रखता है ,<br />
मेरा मसअला अहले महोब्बत का है दीवानगी देखते है ,<br />
<br />
दिल की बात इस तरह जबाँ से क्या निकल गई ,<br />
मेरी मुहब्बत खुद को बेजार कर के बंदगी देखते है ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<br />
दीदार-दर्शन //जिस्मकी तिश्नगी-बदन की प्यास ,<br />
चारागर-उपचारक<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-wtfjTL1i-6w/Vn55TPwyCVI/AAAAAAAAASQ/O7cMs1PJMj0/s1600/1185921_211509149012258_920376691_n%2B%25282%2529.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="245" src="https://1.bp.blogspot.com/-wtfjTL1i-6w/Vn55TPwyCVI/AAAAAAAAASQ/O7cMs1PJMj0/s320/1185921_211509149012258_920376691_n%2B%25282%2529.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-89197846343803769362015-12-23T05:04:00.001-08:002016-02-29T23:52:01.488-08:00दिलसे वो बोलता है दिलों के कानमें ताब होते है ,मुकुल द्वे :"चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
दिलसे वो बोलता है दिलों के कानमें ताब होते है ,<br />
आँखों से बात करता है रुखसार पे नकाब होते है ,<br />
<br />
हवा रुख बदलती है फिरभी परिंदा उड़ानों पे होते है<br />
नसीहत यह है बेजबानों के पर में मकाम होते है ,<br />
<br />
सरापा तू है बुजा बुजासा फिरभी दिलमें तपिश क्यों ,<br />
जब बुजती नहीं प्यास सराबों की, अजाब होते है ,<br />
<br />
मंदिर मजार तक का सफरमे युँ कुछ भी न था ,<br />
कहनेको चले थे मेरे साथ शहरमें बेज़बाँ होते है ,<br />
<br />
जिक्र किया था उनका बातों बातों में युँ ही मौसम से ,<br />
मुझे क्या पता इश्क को आजमाने से हबाब होते है ,<br />
<br />
मुकुल द्वे :"चातक "<br />
<br />
ताब-तेज //अजाब-दुःख //तपिश-जलन //पर-पंख<br />
हबाब-बुलबुला //सरापा-सर से पैर तक//<br />
सराबों-मृगतृष्णा<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-npMjyAYEys8/VnqaHPOXRcI/AAAAAAAAASA/Og1cCFdJhBo/s1600/559466_357265524359839_283548396_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://2.bp.blogspot.com/-npMjyAYEys8/VnqaHPOXRcI/AAAAAAAAASA/Og1cCFdJhBo/s400/559466_357265524359839_283548396_n.jpg" width="281" /></a></div>
<br /></div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-56050558140706358062015-12-18T03:22:00.000-08:002016-02-29T23:46:51.261-08:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
तुम इतना करीब भी ना आओ ,सियासत का भय रहेता है ,<br />
इतना भी दूर ना जाओ , बगावत का भय रहेता है ,<br />
<br />
दिलको मन्दिर बनाके , मसरूफ रहे थे आप के लिए ,<br />
बूत जमा देवताओ का था , क़यामत का भय रहेता है ,<br />
<br />
खूद अपना अक्स बनूँ , हमसफ़र आसाँ नही होता ,<br />
शीशा वोही है तस्वीर बदलने से , हक़ीक़त का भय रहेता है ,<br />
<br />
बढ़ता जा रहा है शहर में शोर , शनासा कोई नहीं ,<br />
सराबों की तिश्नगी दिलोमेँ है ,इशरत का भय रहेता है ,<br />
<br />
जिन्दगी में एक इन्सान की मुलाकात ही गनीमत होती है ,<br />
कलकी किसे खबर ,थोड़ा साथ चलो रुखसत का भय रहेता है ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक"<br />
<br />
सियासत-राजकारण//अक्स-प्रतिबिंब //शनासा-परिचित ,<br />
इशरत-आनंद।सुख //सराबों-मृगतृष्णा//तिश्नगी-प्यास<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-lLbUYlQyGjE/VnPr9SED36I/AAAAAAAAARw/m95OX-AWvU8/s1600/PhotoGrid_1448265592654.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://4.bp.blogspot.com/-lLbUYlQyGjE/VnPr9SED36I/AAAAAAAAARw/m95OX-AWvU8/s400/PhotoGrid_1448265592654.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-25255713159943134492015-12-14T06:12:00.001-08:002016-02-29T23:40:26.783-08:00हम तुजे कायम किताब की तरह पढ़ा करते है ,मुकुल द्वे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
हम तुजे कायम किताब की तरह पढ़ा करते है ,<br />
सुन हमारी बंदगी में निगाह -ए-करम दुआ करते है ,<br />
<br />
कभी लम्हों के आईने में अक्स खुद का देखता है ,<br />
उसका अन्दाजे- बयाँ अपने आप को गिला करते है ,<br />
<br />
अंजुमन में आँख चुराता है वो अपनी नजरसे ,<br />
गिले शिकवे हुए फिरभी खलिश है पर्दा करते है ,<br />
<br />
तेरी याद है या तसव्वुर यह तमाशा आँखों का है ,<br />
जब होशमें आते है मंजर हमें रुला करते है ,<br />
<br />
अदा उन जुल्फों की बनाते , बिगाड़ते और सँवारते है ,<br />
कहीं पे वफ़ा,दोस्ती,ख़ुलूस के सिलसिले बयाँ करते है ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक"<br />
<br />
निगाह -ए-करम-कृपा दृष्टि//अक्स-प्रतिबिंब//<br />
अंजुमन-सभा//तसव्वुर-कल्पना//खलिश-दर्द //<br />
मंजर-दृश्य<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-TUgTNHGkLEw/Vm7OECDJ5sI/AAAAAAAAARg/603ceN9LFkI/s1600/1491677_292885677545791_4580978399034102146_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://3.bp.blogspot.com/-TUgTNHGkLEw/Vm7OECDJ5sI/AAAAAAAAARg/603ceN9LFkI/s400/1491677_292885677545791_4580978399034102146_n.jpg" width="231" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-26587122859462283412015-12-11T04:58:00.004-08:002016-02-29T23:32:58.667-08:00अपने घर में रहते हो अजनबी की तरह तुम हो कौन ,मुकुल द्वे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
अपने घर में रहते हो अजनबी की तरह तुम हो कौन ,<br />
हारा किससे बहार -अन्दर के आदमी की तरह तुम हो कौन ,<br />
<br />
पहन रखा है मुखौटा इसके पीछे क्या है पूछता हूँ ,<br />
मीरा , राधा के ग्वाला की बंसरी की तरह तुम हो कौन ,<br />
<br />
मै ने अपनी तनहाई यों में उसको छुपा के रखा था ,<br />
मुझे सोचा उतारा है जहन में तिश्नगीकी तरह तुम हो कौन ,<br />
<br />
जुकता रहता हूँ यह समझ के कोई भी आईना शनासा होगा ,<br />
मगर तुमने सलीके से मुझे रखा डायरी की तरह तुम हो कौन ,<br />
<br />
मेरे दिलमें चाह जगी है आँखों की तरह पंख खोल दूँ ,<br />
और गोदमें सर रखु सजदा की बंदगी की तरह तुम हो कौन ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक"<br />
<br />
तिश्नगी-प्यास //शनासा-पहचान ने वाला<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-V6sNJ0NU9TY/VmrIWWdh_aI/AAAAAAAAARQ/rcgNAwW2gl0/s1600/166724_432588450160879_982771674_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="297" src="https://4.bp.blogspot.com/-V6sNJ0NU9TY/VmrIWWdh_aI/AAAAAAAAARQ/rcgNAwW2gl0/s400/166724_432588450160879_982771674_n.jpg" width="400" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-40255471361472115782015-12-07T23:41:00.001-08:002016-02-29T22:22:10.756-08:00दिल धड़कता है तो साँसो में महकती धड़कन तेरी,मुकुल द्वे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
दिल धड़कता है तो साँसो में महकती धड़कन तेरी,<br />
फलक पर आ , चाँद खुद सितारों से बातें करे साजन तेरी ,<br />
<br />
तुसव्वुर में घिरे रहते हो निगहबान की तरहा ,<br />
तेरी जुल्फे , कातिल आँखे बनी अब दुल्हन तेरी ,<br />
<br />
आज मुझे सजाले सेंथी में तू एक दूल्हा की तरहा ,<br />
तु है मेरा नसीब , बरसों से बनी बैठी ये विरहन तेरी ,<br />
<br />
मैं तो तेरा अहसास हूँ , हाथ पकड़ जमाने की भीड़में ,<br />
खो सकता हूँ कारवाँ में , भूल जा ये अनबन तेरी ,<br />
<br />
हवाओं का रुख पलट ले ता मिलती तू मुझसे खुलकर ,<br />
जिस्म के जख्मों मसीहा बना ,मिटादि लकीरों ने उल्जन तेरी,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक"<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://4.bp.blogspot.com/-zLKw5zROfhw/VmaJnQTkTsI/AAAAAAAAARA/9DDBJ4dVbts/s1600/45224_1536722148842_6798522_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://4.bp.blogspot.com/-zLKw5zROfhw/VmaJnQTkTsI/AAAAAAAAARA/9DDBJ4dVbts/s400/45224_1536722148842_6798522_n.jpg" width="381" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-55454074793418790972015-12-05T06:02:00.003-08:002016-02-29T22:16:13.444-08:00कोई धागेने साँस को पिरोया नहीं ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
कोई धागेने साँस को पिरोया नहीं ,<br />
बदन और रूह का रिश्ता पाया नहीं ,<br />
<br />
जागता नहीं नीँद को किस्तों में बेचता है ,<br />
बदन धो धो के मनका मैल धोया नहीं ,<br />
<br />
जिन्दगी कम हो दर्जा फरिश्तो से बुलन्द था ,<br />
एक भी सजदा खुदासे छलाया नहीं ,<br />
<br />
रिश्ते के दोरमें एक धागा साँस और आसका ,<br />
टूटने से पास- दूर , किसीने निभाया नहीं ,<br />
<br />
वो पैग़म्बर, अवतार,देवता बनने निकला था ,<br />
क्या क्या होकर लौटा ,"मैं "को मिटाया नहीं ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-xXLa25Bazlg/VmLuUMStfWI/AAAAAAAAAQw/NsaLhm5aUfw/s1600/529909_421680584584999_1509456873_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://3.bp.blogspot.com/-xXLa25Bazlg/VmLuUMStfWI/AAAAAAAAAQw/NsaLhm5aUfw/s320/529909_421680584584999_1509456873_n.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-74768653026306271832015-12-02T05:37:00.000-08:002016-02-29T05:23:44.463-08:00रोशनी का न धुऍ का पता नहीं, जलाया कुछ और है ,मुकुल द्वे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
रोशनी का न धुऍ का पता नहीं, जलाया कुछ और है ,<br />
चिराग हों जब दिलमें फिर बुजाया कुछ और है ,<br />
<br />
ऊँचे महलसे उसने झोंपड़ी का कद देख लिया ,<br />
हाथों की लकीरों ने जज्बात खरीद के जुटाया कुछ और है ,<br />
<br />
मेरी आँखों में ख़ामोशी से तुम ढूँढते हो क्या ,<br />
जी भर के मेरे अश्कोमें, छिपाया कुछ और है ,<br />
<br />
जिन्दगी की आगोश में कोई नहीं मिलता होशमें ,<br />
पाले हुए सारे भरम बसाके दिखाया कुछ और है ,<br />
<br />
मिट्टी का खिलौना बना कर कलाकार ने तलाशा है ,<br />
तोडा कई बार उसने फिर बनाके मिटाया कुछ और है ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक "<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-aIR0KZrA534/Vl7zwXeR2UI/AAAAAAAAAQg/aSi84ZGz-M4/s1600/10154326_672403162830790_4559915028759614368_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="212" src="https://1.bp.blogspot.com/-aIR0KZrA534/Vl7zwXeR2UI/AAAAAAAAAQg/aSi84ZGz-M4/s320/10154326_672403162830790_4559915028759614368_n.jpg" width="320" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-81321030573303638902015-11-29T06:27:00.001-08:002016-02-29T23:07:58.653-08:00यह कैसा दौर है उनके दिल में अब वो तल्खी नहीँ है ,मुकुल द्वे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
यह कैसा दौर है उनके दिल में अब वो तल्खी नहीँ है ,<br />
रिश्ता पुराना है पहेले जैसी वो बात आज भी नहीँ है ,<br />
<br />
साकी तेरे मयक़दा में तुम जिसे मयकशी कहते हो ,<br />
सागर जैसी उनकी निगाह आगे वो तिश्नगी नहीँ है ,<br />
<br />
ख्वाब जागती आँखों को दिखाने वाला जिस तरह मिलते है ,<br />
पहले कभी मुहब्बत की थी वो आज दिल्ल्गी नहीँ है ,<br />
<br />
मेरी किस्मत में जीत भी हूबहू हार की तरह हुई ,<br />
मगर रात दिन, शामो सहर, हर धडी अजनबी नहीँ है ,<br />
<br />
हौसला इतना है की तु कहे या न कहे मर्जी है तेरी ,<br />
एक हकीकत बयाँ है पहेले जैसी शर्मिन्दगी नहीँ है ,<br />
<br />
आज मिट रहा हूँ उसी तरह,जिस तरह मिटा रही थी,<br />
सिलसिला अजीब है वो तमन्ना,मुराद की जिन्दगी नहीँ है ,<br />
<br />
हम खुद को रुसवा उनकी मुहब्बत से नही कर पाए ,<br />
वार करते रहे वो फिरभी उनकी बंदगी थमी नहीँ है ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक"<br />
<br />
तल्खी-कड़वाहट//मयकशी-शराब पीना//तिश्नगी-प्यास ,<br />
<br />
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-OjLSupS1AZM/VlsLBWyCyII/AAAAAAAAAQQ/rGWyUFH7Ho0/s1600/1326487685025u0y.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="400" src="https://1.bp.blogspot.com/-OjLSupS1AZM/VlsLBWyCyII/AAAAAAAAAQQ/rGWyUFH7Ho0/s400/1326487685025u0y.jpg" width="264" /></a> </div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-28970415965424808152015-11-27T22:39:00.002-08:002016-02-29T05:11:53.977-08:00खिलते है उल्फत में तेरे रुखसार गुलाब की तरह ,मुकुल दवे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
खिलते है उल्फत में तेरे रुखसार गुलाब की तरह ,<br />
उतरती है तिश्नगी आज शराब की तरह ,<br />
<br />
मैं तेरी याद में यह सोचकर काँप उठता हूँ ,<br />
पढ़ न ले तेरा नाम मेरे चहेरे पे किताब की तरह,<br />
<br />
किस तरह याद आ के तुम मुझे आजमा रही हो ,<br />
जैसे सचमुच उतरतें ख्वाब मेरे अजाब की तरह,<br />
<br />
तुम इतना जुनूँ न दिखलाओं की पकड़ लूँ दामन ,<br />
फिर अगर बहल लूँ गुद गुदा हो के आब की तरह,<br />
<br />
जाग उठती है फ़ितरते -फनकार, जब तुम झूमती हो ,<br />
तुम आ जाओ आग़ोशे-तसव्वुर में शबाब की तरह<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक "<br />
<br />
रुखसार-गाल //तिश्नगी -प्यास//अजाब-गुनाह का ख्याल,<br />
आब-बरसात //फ़ितरते -फनकार-कला की प्रकृति ,<br />
आग़ोशे-तसव्वुर-कल्पना की गोदमें<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://2.bp.blogspot.com/-sxO-iQ_JZp8/VllMBLaJ5oI/AAAAAAAAAQA/wmGkJTywAB8/s1600/10455334_317393308445066_5396061377669056483_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://2.bp.blogspot.com/-sxO-iQ_JZp8/VllMBLaJ5oI/AAAAAAAAAQA/wmGkJTywAB8/s320/10455334_317393308445066_5396061377669056483_n.jpg" width="320" /></a></div>
<br />
<br />
<br /></div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-59516368270918714202015-11-22T22:20:00.000-08:002016-02-29T05:04:33.196-08:00तुम बिन जख्म भरा है ,मगर महकता लगता है ,मुकुल दवे "चातक"<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
तुम बिन जख्म भरा है , मगर महकसा लगता है ,<br />
सोया है गम फिर भी वो शराबका नशा लगता है ,<br />
<br />
दिलके ख्वाब को हम बार बार सजाने लगते है ,<br />
मसीहा बनके आये है वो, जिन्दगी आईना लगता है ,<br />
<br />
शहर जाके देखो अब वह आदमी में सुकूँ नहीं ,<br />
झकझोरा आदमी बात उसने मोड़ दी, बेज़ुबाँ लगता है ,<br />
<br />
आँधियाँ में भी मुहब्बत का दीपक जलता है ,<br />
मजार आता है फूल चढ़ाने , मुहब्बत खुदा लगता है ,<br />
<br />
सितम भूलके भी हम आपके अब हो जाऐ ,<br />
फिरभी दिलके घा पे मरहम बयाँ लगता है ,<br />
<br />
मुकुल दवे "चातक"<br />
सुकूँ-चैन<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://3.bp.blogspot.com/-fIOCPK0RKXw/VlKvxToQozI/AAAAAAAAAPw/jZ6YEnivUyA/s1600/10371372_585971178185219_2875443028162542756_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="235" src="https://3.bp.blogspot.com/-fIOCPK0RKXw/VlKvxToQozI/AAAAAAAAAPw/jZ6YEnivUyA/s320/10371372_585971178185219_2875443028162542756_n.jpg" width="320" /></a></div>
<div>
<br /></div>
<div>
<br /></div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<br />
<br /></div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4599406093457971529.post-82594246395011993652015-11-18T23:46:00.001-08:002016-02-29T04:46:46.304-08:00चंद सिक्के पेट के लिए हवामे उछाले कई किरदारमें ,मुकुल द्वे "चातक "<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
चंद सिक्के पेट के लिए हवामे उछाले कई किरदारमें ,<br />
छन्न छन्न छल्ली दिल हुआ बेजुबाँ बाजारमें ,<br />
<br />
लूट सड़को पर ऐसी मची कौन यार - दुश्मन ,<br />
भीड़ में भी तनहा है शहर कौन सी मंज़िल की रफ्तारमें ,<br />
<br />
गिनते गिनते अँधेरा , रोते रोते कब उजाला हुआ ,<br />
साहिल पहुँचे बैठने कश्तीमें,निकली उम्र ढूँढने पतवारमे ,<br />
<br />
अहसास था मुझे वजूद मेरा दिया गुलाबमे होगा ,<br />
आज दीखती है आँखों की चमक तेरे इजहारमें ,<br />
<br />
कच्चे बरतन कब तक ढोया करे मायावी नगरीमें ,<br />
कातिल भी मै हूँ कितने घा दीये कलम की तलवारमे ,<br />
<br />
मुकुल द्वे "चातक "<br />
साहिल -किनारा<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="http://1.bp.blogspot.com/-xum0GQjqsBU/Vk1925nNLvI/AAAAAAAAAPY/dPo3xfp4Wiw/s1600/1098285_608367109184610_1435423663_n.jpg" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="320" src="https://1.bp.blogspot.com/-xum0GQjqsBU/Vk1925nNLvI/AAAAAAAAAPY/dPo3xfp4Wiw/s320/1098285_608367109184610_1435423663_n.jpg" width="312" /></a></div>
</div>
चातक प्यास http://www.blogger.com/profile/05440103083730646787noreply@blogger.com0