9 June 2015

दूर तक तलाशमें मेरे साथ चल पड़े वो इंतजार है तुं ,मुकुल दवे "चातक"


दूर  तक  तलाशमें मेरे साथ चल पड़े वो इंतजार है तुं ,
हर  मोड़पे  जिंदगीमे  रहनुमां  बने  वो  राजदार है तुं ,

तेरे   पैगाममें  मंजरे-इश्कमें  धुआँ  हसरतका  मिला ,
कोई  अंजाम  न हो  वो  ही  आगाज  की  पुकार है  तुं ,

कोशिश   हरचंद   यह   रहेगी   न   उजड़ेगा   घोंसला ,
बने  जो  शाखसे  टूटने  न  दे  वो  रहमतगुजार  है तुं ,

मोहब्बतके   सिलसिला का  निशाँ  मिटने  नहीं  देंगे ,
बनाती   है  दिलमें  नक़्शे-कदम  वो  रह्गुजार  है  तुं ,

बेताबी  बढ़ाती  है  तेरी  साँसोकी  महक  जजबातोमे ,
जब गुजरती है खलिशें मिटाती हो वो खुशगवार है तुं ,

मुकुल दवे "चातक"

 हसरत-इच्छा// रह्गुजार-सहयात्री
राजदार-ह्रदय की बात जाननेवाला//मंजरे-दृश्य//
आगाज-शरुआत//रहमतगुजार-दयालु//
खलिशें-चुभन//खुशगवार-सुख देने वाली


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