जिक्र आपका अंजुमनमें शायरीकी तरह बारबार हुए है ,
इश कदर तुम्हारे इश्कमें तसव्वुरके अशआर हुए है ,
गुलोंकी वादियोमे आरजू भरे कांटोके साये है ,
उन्ही सायेके तले तुमसे फुलोंके वार हुए है ,
मेरे हाथोंकी लकीरेमें तेरा नाम चमकता सुनासा ,
खुदाभी बेरहम नहीं जुग्नू भी अँधेरेमें निसार हुए है ,
तुझसे बिछड़े जैसे चलता है साथ तेरे शहेरका रास्ता ,
रंजिशें सही गुजरे तेरे कुचेसे यादका मंझर निखार हुए है ,
मेरी बे-जूंबा महोब्बतसे भले ही हो आप ग़ाफ़िल ,
होंटोंकी आपकी गहरी मुस्कानमें प्यारका इकरार हुए है ,
मुकुल दवे "चातक"
अंजुमन-મહેફિલ अशआर-શેર तसव्वुर-કલ્પના
जुग्नू-આગિયા
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