14 January 2016

महोब्बत करने वालेका दिल सजदेमें होते है ,मुकुल द्वे :चातक"


महोब्बत   करने    वालेका    दिल   सजदेमें   होते    है ,
खुदाकी    बंदगी  में   दिल    अश्को   से     भिगोते    है ,

उजाले   की   प्यास  में   अंधेरा   पसंद  नहीं   रात  को 
शब  की   महफ़िल  में   कई   जुगनू    दिल  जलाते  है ,

सांसो में  रची  है  साँस  के  धागो की   खुदाई   सौगात ,
जिस्म में  दीपक  की  लौ  को   साँसों से   पिघलाते   है ,

जिन   राहों   पे  वो  खड़े   है,  वहाँ  धूप  बहुत  कड़ी   है ,
चांदनी में उनकी दहलीज पे ,जुस्तजू के दिये सजाते है ,

कुछ  तो   है  खुदाई   में,  डूबने  गये  आ  गये   किनारे 
यूँ  दुआऐ  कुबुल  नहीं  हुई ,आँसुओ में खुदको डूबोते है ,

मुकुल द्वे :चातक"

No comments:

Post a Comment