दिल धड़कता है तो साँसो में महकती धड़कन तेरी,
फलक पर आ , चाँद खुद सितारों से बातें करे साजन तेरी ,
तुसव्वुर में घिरे रहते हो निगहबान की तरहा ,
तेरी जुल्फे , कातिल आँखे बनी अब दुल्हन तेरी ,
आज मुझे सजाले सेंथी में तू एक दूल्हा की तरहा ,
तु है मेरा नसीब , बरसों से बनी बैठी ये विरहन तेरी ,
मैं तो तेरा अहसास हूँ , हाथ पकड़ जमाने की भीड़में ,
खो सकता हूँ कारवाँ में , भूल जा ये अनबन तेरी ,
हवाओं का रुख पलट ले ता मिलती तू मुझसे खुलकर ,
जिस्म के जख्मों मसीहा बना ,मिटादि लकीरों ने उल्जन तेरी,
मुकुल द्वे "चातक"
No comments:
Post a Comment