तुम मेरे इश्क के अशआरकी पूजा हो जैसे,
मिल गये हो तुम मुझे मेरे खुदा हो जैसे,
चाह हो मेरी, दिलकी धड़कन हो,तकदीर हो तुम,
तुम मेरे भगवन्तकी हसरतकी दुआ हो जैसे,
तुम मेरी सुबह हो, शाम हो और शब हो ,
तुमने सदियोंसे मेरी तन्हाई सुना हो जैसे ,
तुम आये हो मेरी जिन्दगीमें अनजान बनके ,
तेरी मुहब्बतकी अदाओ कहती है पता हो जैसे,
मेरी मौतको ललकारा तुमने बन्दगीसे ,
मेरा दामन पकड़कर मुझको चुरा हो जैसे,
तुम मेरा ऐतबार हो, आईना हो, किताब हो ,
चहेरेपे मेरा नाम सजाके छुपा हो जैसे,
तुम मेरी हकीकत हो,तमन्ना हो,वजूद हो तुम ,
खुदा की ख्वाहिशों की तुम सजदा हो जैसे,
अशआर-शेर / शब -रात्रि /
मुकुल दवे "चातक"
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