26 September 2015

इतना भी तुम नक़ाबमें रहा न करो ,मुकुल दवे "चातक "


इतना    भी    तुम    नक़ाबमें    रहा    न   करो ,
हाँ    न    कह   सको    तो    दूर    रहा  न  करो ,

मिला  करोगें आँखो से   तो  भी  तुमसे  चाहेंगें ,
कागज पर लफ्ज लिख कर मिटा दिया न करो ,

देखोगे     गौर से    आईनेमें     खुदको   पढ़कर ,
तुम्हारा     अपना    तुमसे    जुदा      न    करो ,

मुझे   उसके   प्यारमेँ    गिरफतार    होने    दो ,
मुझसे प्यार नफरत का इजहार  किया  न करो ,

खामोश  न  रहो, गिला  शिकवा हो  तो कह  दो ,
बसाते  हो  नजरोमेँ  अहसासको  कहा  न  करो ,

मुझको तू अपना बना या न बना तेरी जुस्तजू ,
प्यार   दिखता   है  आँखोंमे   खोया   न    करो ,

मुकुल दवे "चातक "

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