इतना भी तुम नक़ाबमें रहा न करो ,
हाँ न कह सको तो दूर रहा न करो ,
मिला करोगें आँखो से तो भी तुमसे चाहेंगें ,
कागज पर लफ्ज लिख कर मिटा दिया न करो ,
देखोगे गौर से आईनेमें खुदको पढ़कर ,
तुम्हारा अपना तुमसे जुदा न करो ,
मुझे उसके प्यारमेँ गिरफतार होने दो ,
मुझसे प्यार नफरत का इजहार किया न करो ,
खामोश न रहो, गिला शिकवा हो तो कह दो ,
बसाते हो नजरोमेँ अहसासको कहा न करो ,
मुझको तू अपना बना या न बना तेरी जुस्तजू ,
प्यार दिखता है आँखोंमे खोया न करो ,
मुकुल दवे "चातक "
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