पल भरके लिए लगा की कोई अपना पुकारता हुआ होगा ,
मगर वो अपना नहीँ था , आपको धोखा हुआ होगा ,
सजा मिली है मेरे गुनाहसे बढ़कर वो अहसास है ,
मशहूर खुदको करने मुझे बाजारमें उछाला हुआ होगा ,
इस तालाबका पानी बदल दो वकत बदल गया है ,
वो मछलियाँको किटियों ने चारा बनाकर खाया हुआ होगा
निकली चीख तो उनके घरकी दहलीज तक ठहरी होगी ,
शहर की भीड़ भाड़ के शोरसे वो खुदको ढूँढता हुआ होगा ,
शमा पे परिन्दे जलनेसे रोशनीके उजाले कम नहीँ हुआ करते ,
शहरमें मशाले जली हुई है बेवफाइका हादसा हुआ होगा ,
भूख से सब्र कर धनी थरथरा ने से रोटियाँ उछाल रहा है ,
भूखेके हाथमें मशाल है धनी ने हंगामा देखा हुआ होगा ,
मुकुल दवे "चातक"
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