13 April 2015

अश्कके सैलाबमें जज्बातकी डूबी कश्तीको किनारे लायेंगें,मुकुल दवे "चातक"


अश्कके  सैलाबमें  जज्बातकी डूबी कश्तीको किनारे लायेंगें,
आँखोंमें   फिरसे   जिंदगीमें  हसीन  ख़्वाब  हमारे  सजायेंगें,

तेरे   हाथोंकी   लक़ीरोंमे   मेरा   नाम   हो   वो   जरूरी  नहीं ,
मेरा   प्यार   खुदाकी   लक़ीरोंसे  तुम  तक मोड़ सारे लायेंगें,

सिनेमें   जलन   आँखोंमें  नमी   जब   तलक   जली  हुई  है ,
तेरे   सिनेमे   लुटे   ख़्वाबके   गमका   बोझ उतारे   जायेंगें,

युँ मत रख दर्दे जिगर आखिर अलविदाका सफर नहीं  होगा ,
कारवाँमें चहेरे होगें दिलसे तेरे चहेरेके  नहीं नजारे मिंटायेंगें,

युँ  पकड़  ले  हाथ  मेरा  बहुत  भीड़  लगी है जमानेके मेलेमें ,
जख्मके    मरहम   बनेगे   तेरी   सीरतमेँ    बहारे   नवाजेंगें,

एक   निगाहे   करमसे   हमने   तुम्हारी  कायनात   पाई   है ,
बस यु  छेड़ते रहो हसीन दिलके  तार  हम  मलहारे सुनायेंगें,


मुकुल दवे "चातक"
 सीरत-सौजन्य






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