अश्कके सैलाबमें जज्बातकी डूबी कश्तीको किनारे लायेंगें,
आँखोंमें फिरसे जिंदगीमें हसीन ख़्वाब हमारे सजायेंगें,
तेरे हाथोंकी लक़ीरोंमे मेरा नाम हो वो जरूरी नहीं ,
मेरा प्यार खुदाकी लक़ीरोंसे तुम तक मोड़ सारे लायेंगें,
सिनेमें जलन आँखोंमें नमी जब तलक जली हुई है ,
तेरे सिनेमे लुटे ख़्वाबके गमका बोझ उतारे जायेंगें,
युँ मत रख दर्दे जिगर आखिर अलविदाका सफर नहीं होगा ,
कारवाँमें चहेरे होगें दिलसे तेरे चहेरेके नहीं नजारे मिंटायेंगें,
युँ पकड़ ले हाथ मेरा बहुत भीड़ लगी है जमानेके मेलेमें ,
जख्मके मरहम बनेगे तेरी सीरतमेँ बहारे नवाजेंगें,
एक निगाहे करमसे हमने तुम्हारी कायनात पाई है ,
बस यु छेड़ते रहो हसीन दिलके तार हम मलहारे सुनायेंगें,
मुकुल दवे "चातक"
सीरत-सौजन्य
No comments:
Post a Comment