मरा नहीं वो जलाया गया खुदापे इल्जाम बताया जा रहा है ,
जिस्मका बेखबर धूंआ का अंजाम बताया जा रहा है ,
भूंखी नंगी बस्तीके आँगनमे कभी चूल्हे जलते नहीं है ,
उनकी आहट,आस,तमन्ना आँसु इन्तिक़ाम बताया जा रहा है ,
तबाही की चीख कभी बेजबान जहानमें नहीं होगी ,
जख्म जमीं खामोश है वह गवाह पयगाम बताया जा रहा है ,
शोरसा उठा है जहनमे लब बेबसीमें सी लिए है ,
तमाशा जुल्मका बढ़ा है उनको मकाम बताया जा रहा है ,
सितमगरकी साज़िशें बस युँ ही बुलंद हो गई है ,
आदमीको भटका हुआ गुलाम बताया जा रहा है ,
मुकुल द्वे "चातक"
इल्जाम-तोहमत // इन्तिक़ाम-प्रतिशोध //पयगाम-संदेश
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