बहकते हुए साजकी आवाजसे कभी पूछा करो ,
दर्दे-गम हुआ है वो किसी दिलको बहलानेके लिए ,
रातमें चाँद चमका है कभी चाँदनीसे पूछा करो ,
प्यासे लोग कितने तरसे तश्नगी हसरतोके लिए ,
गुल चमनमे छेड़ हूआ है तड़पते पोंधोसे पूछा करो ,
तोहीन वो कितना हुआ गैरोके जज्बातोके लिए ,
नाता तोडा जबभी वफाने जफासे पूछा करो ,
बदनाम कितना हुआ वो जमानेमें वफाइओके लिए ,
हुश्नसे आगे ओर कुछभी है चाँदके दागसे पूछा करो ,
तौसीफ हुआ है उसकी ठहरी शीतलताके लिए ,
मुकुल दवे "चातक"
तश्नगी-प्यास
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