कई मुदतोसे वो सोया नहीं , ठिकानेका बहाना चाहिए ,
खुद बदनाम नहीं होती मोत , साजिशेका बहाना चहिए ,
रूश्वा हो गया वो , रूश्वाकी तुमे बहुत चाहत
तुमे मिलनके वास्ते , दस्ते -जुनूनेका बहाना चाहिए ,
आशिकी अदा, दीवानापन, वो यादे एक सफर ही सही ,
नाखुदा को खुदा बनाया , ढूँढनेका बहाना चाहिए ,
दूर तक फासला करके बेठे वो ,खफा हुए है किसे गिला करू ,
उन्हें मुद्तोसे मना रहा हूँ , साजे-ह्यातेका बहाना चाहिए ,
तुम कहा गये, हवा हो गये,मुझे कसम है तेरी कुछ पता नहीं ,
खुदा तुमे खुदाईका वास्ता, वादा-ए-वस्लेका बहाना चाहिए ,
तुमे माँगनेके लिए उठे है मेरे दो हाथ दुआके लिए,
देखेगें हम मिलता है मांगनेसे ,चश्मे-जमीरका बहाना चाहिए ,
मुकुल दवे "चातक"
चश्मे-जमीर=अंतरात्मा की आंख
दस्ते -जुनूने=पागलपन का हाथ// साजे-ह्याते=जीवनका वाध,
मन,हृदय// वादा-ए-वस्ले=मिलनका वादा,आस//
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