23 December 2014

कई मुदतोसे वो सोया नहीं ,ठिकानेका बहाना चाहिए ,मुकुल दवे "चातक"


कई   मुदतोसे   वो   सोया   नहीं ,  ठिकानेका  बहाना चाहिए ,
खुद   बदनाम   नहीं   होती  मोत , साजिशेका बहाना  चहिए ,

रूश्वा     हो     गया    वो ,     रूश्वाकी    तुमे    बहुत   चाहत
तुमे     मिलनके   वास्ते ,   दस्ते -जुनूनेका   बहाना   चाहिए ,

आशिकी  अदा, दीवानापन,  वो   यादे   एक  सफर  ही   सही ,
नाखुदा    को    खुदा    बनाया ,  ढूँढनेका    बहाना    चाहिए ,

दूर  तक  फासला करके बेठे वो ,खफा हुए है किसे गिला करू ,
उन्हें  मुद्तोसे  मना  रहा हूँ ,  साजे-ह्यातेका  बहाना  चाहिए ,

तुम कहा  गये, हवा हो गये,मुझे कसम है तेरी कुछ पता नहीं ,
खुदा तुमे खुदाईका  वास्ता, वादा-ए-वस्लेका  बहाना  चाहिए ,

तुमे    माँगनेके   लिए   उठे   है  मेरे  दो   हाथ   दुआके   लिए,
देखेगें हम मिलता है मांगनेसे ,चश्मे-जमीरका बहाना चाहिए ,

मुकुल दवे  "चातक"
चश्मे-जमीर=अंतरात्मा की आंख
दस्ते -जुनूने=पागलपन का हाथ// साजे-ह्याते=जीवनका वाध,
मन,हृदय// वादा-ए-वस्ले=मिलनका वादा,आस//

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